माँ
अधेड़ आयु में भी वृद्ध होते देखा हैं,
हां मैने मां को भी पिता होते देखा हैं l
डांट में अपनी ममता छिपाते देखा हैं
गलती पर मेरी आँखों से ही मुझे डराते देखा हैं,
हां मैने मां को भी पिता होते देखा हैं l
घर ,खेत ,पढाई ,रिश्ते,
सारे काम सँभालते देखा हैं
अपने बच्चों के लिए सब कुछ छोड़ते देखा हैं,
हां मैने मां को भी पिता होते देखा हैं l
खुद की हर खुशी बेचकर
मेरे लिए किताबें जुटाते देखा हैं
घर की खुशियों को अपने खून से सींचते देखा हैं,
हां मैने मां को भी पिता होते देखा हैं l
किसी रोज बैल न होने पर
हल को कांधे पर उठाते देखा हैं
मैंने उसे निर्मला से भूमिपुत्री होते देखा हैं,
हां मैने मां को भी पिता होते देखा हैं l
#वृष्टि
yaaD
बड़े दिनों बाद उनका कॉल आया
मेने बातो बातो में कहा
कुछ झुठ ही बोल दो
जवाब आया
तुम्हारी याद बहुत आती है।।।।
होली
रंग देगे तुझे, अपनी मोहब्बत के रंग में होली पर..!!
ये जो इश्क़ का महीना बीत गया तो क्या हुआ….!!!!
दिल की बात ।
क्या ख़ूब कहा
किसी प्रेयसी ने पिया से अपने,
राधा की बात और सही
मुझे तो रुक्मणि होने की कहीं ज़्यादा इच्छा है ! 💕
वो मुलाकात।
जल रहा था चाँद धीरे धीरे उस पल रात में
काँपते थे होंठ तेरे तेरी ही हर बात में
उठ रही थी श्वास जो ज्वाला लिए थी प्यार की
न ही तुमको न ही हमको सुध रही संसार की
मध्य में अवरोध थे जो तोड़ डाले थे सभी
जाने क्या सहसा हुआ कि रुक गए थे हम तभी
मैं समझ पाया नहीं था न तुम्हें समझा सका
तुम निकट कितने थीं मेरे फिर भी तुम्हें न पा सका
पढ़ के मेरे नैन को जब तुम समझतीं थीं मुझे
मौन हो कर कितना ही कुछ यूँ ही कहतीं थीं मुझे
कौन हूँ मैं क्या हूँ तुम्हारा ये बतातीं थीं मुझे
जब झुका कर अपनी पलकें तुम छुपाती थीं मुझे
क्या थी परिभाषा समय की अर्थ क्या था भाग्य का
प्रेम का वह गीत रचना व्यर्थ का था भाग्य का
जो अधर रखा हुआ था गीत मैं न गा सका
तुम निकट कितने थीं मेरे फिर भी तुम्हें न पा सका
तुमसे प्यार
आवारा
ना शाखों ने जगह दी। । ना हवाओ ने बक्शा
वो पत्ता आवारा ना बनता तो क्या करता ।।